
शब्दरंग समाचार। नई दिल्ली।भाजपा नेता नितिन गडकरी ने कहा, ‘जो मंत्री बनता है, वह इसलिए दुखी रहता है कि उसे अच्छा मंत्रालय नहीं मिला और वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाया. मुख्यमंत्री इसलिए तनाव में रहता है, क्योंकि उसे नहीं पता कि कब आलाकमान उसे पद छोड़ने के लिए कह देगा.’ राजनीति ‘असंतुष्ट आत्माओं का सागर’ है, जहां हर व्यक्ति दुखी है और अपने वर्तमान पद से ऊंचे पद की आकांक्षा रखता है... ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ये बात केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कही है. उन्होंने कहा कि जीवन में समस्याएं बड़ी चुनौतियां पेश करती हैं और उनका सामना करना तथा आगे बढ़ना ही ‘जीवन जीने की कला’ है.
जीवन चुनौतियों और समस्याओं से भरा है
नागपुर में रविवार को ‘जीवन के 50 स्वर्णिम नियम’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि जीवन समझौतों, बाध्यताओं, सीमाओं और विरोधाभासों का खेल है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि चाहे व्यक्ति पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक या कॉरपोरेट जीवन में हो, जीवन चुनौतियों और समस्याओं से भरा है और व्यक्ति को उनका सामना करने के लिए ‘जीवन जीने की कला’ को समझना चाहिए.नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम को याद करते हुए कहा, ‘राजनीति असंतुष्ट आत्माओं का सागर है, जहां हर व्यक्ति दुखी है… जो पार्षद बनता है वह इसलिए दुखी होता है, क्योंकि उसे विधायक बनने का मौका नहीं मिला और विधायक इसलिए दुखी होता है, क्योंकि उसे मंत्री पद नहीं मिल सका,’ भाजपा नेता ने कहा, ‘जो मंत्री बनता है, वह इसलिए दुखी रहता है कि उसे अच्छा मंत्रालय नहीं मिला और वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाया. मुख्यमंत्री इसलिए तनाव में रहता है, क्योंकि उसे नहीं पता कि कब आलाकमान उसे पद छोड़ने के लिए कह देगा.’नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि उन्हें अपने राजनीतिक जीवन में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की आत्मकथा का एक उद्धरण याद है, जिसमें कहा गया है, ‘कोई व्यक्ति तब खत्म नहीं होता जब वह हार जाता है. वह तब खत्म होता है जब वह हार मान लेता है.’ केंद्रीय मंत्री ने सुखी जीवन के लिए अच्छे मानवीय मूल्यों और संस्कारों पर जोर दिया. उन्होंने जीवन जीने और सफल होने के अपने आदर्शों तथा नियमों को साझा करते हुए ‘व्यक्ति, पार्टी और पार्टी दर्शन’ के महत्व पर भी प्रकाश डाला.