पद्मश्री विद्या विंदु सिंह

उप्र (Shabddrang Samachar) : विद्या विंदु सिंह जी का नाम हिंदी और अवधी साहित्य के क्षेत्र में सम्मान के साथ लिया जाता है। उनका जन्म 2 जुलाई 1945 को हुआ था, और अपने जीवन के कई दशकों में उन्होंने न केवल साहित्य के क्षेत्र में बल्कि समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विद्या विंदु सिंह जी ने बाल साहित्य, लोक साहित्य, कविता, कहानी, और क्षेत्रीय लोकगीतों के क्षेत्र में गहरी पकड़ बनाई है। उन्होंने साहित्य के माध्यम से सामाजिक मुद्दों, सांस्कृतिक धरोहरों और क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षित करने का प्रयास किया है। 2022 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया, जो साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान का व्यापक रूप से सम्मान है।

विद्या विंदु सिंह जी ने सौ से अधिक रचनाएँ लिखी हैं, जिनमें कविता संग्रह, कहानी संग्रह, और लोकगीत शामिल हैं। उनकी रचनाएँ केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि संवेदनाओं और संस्कृति से ओतप्रोत हैं। उनके लेखन में ग्रामीण जीवन की सादगी, मानवीय संवेदनाएँ, और भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। उनकी रचनाएँ खासतौर पर बच्चों, महिलाओं और ग्रामीण समाज के लिए बहुत प्रभावशाली मानी जाती हैं। विद्या विंदु सिंह की भाषा में अवधी का विशेष स्थान है, जो उनकी मातृभाषा है और उन्होंने इसे साहित्य में विशेष रूप से शामिल किया है।

साहित्यिक योगदान

विद्या विंदु सिंह जी की साहित्यिक यात्रा में कई उल्लेखनीय कृतियाँ शामिल हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में “विद्या विन्दु सिंह की 21 कहानियाँ” (2022) है, जिसमें उनकी कहानियों का संग्रह है। ये कहानियाँ समाज की विविधताओं को प्रस्तुत करती हैं और उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है। इसके अतिरिक्त, उनका अवधी उपन्यास “लड्डू गोपाल के माई” (2022) अवधी समाज और संस्कृति की गहराइयों को छूता है। इसी तरह “फुलवा बरन मन सीता” (2021) में अवधी कविताओं का सुंदर संग्रह है, जो पाठकों को अवधी साहित्य की ओर आकर्षित करता है।

उनकी अन्य रचनाओं में “सड़क पर उगते बच्चे” (2021), जो लघुकथाओं का संग्रह है, ने समाज के हाशिए पर जी रहे बच्चों की जीवन परिस्थितियों को सामने रखा है। उनका कार्य “अवधी लोकगीत विरासत” (2021) एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसमें उत्तर प्रदेश के लोकगीतों को संरक्षित किया गया है।

उनकी रचनाओं में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उठाया गया है। “उत्तर प्रदेश की लोककथाएँ” (2021) उत्तर प्रदेश की विविध और समृद्ध लोककथाओं का संग्रह है, जो न केवल साहित्यिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। अन्य रचनाएँ जैसे “अवधी वाचिक कथा लोक: अभिप्राय चिंतन” (2018) और “हिरण्यगर्भ” (2015) भी उनकी समाज और संस्कृति के प्रति गहरी समझ को दर्शाती हैं।

सामाजिक योगदान

साहित्यिक योगदान के अलावा विद्या विंदु सिंह जी ने समाज सेवा में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, और बाल कल्याण के क्षेत्र में भी कार्य किया है। उनकी रचनाएँ और उनके प्रयास समाज के वंचित और उपेक्षित वर्गों की आवाज बनते हैं। उन्होंने अवधी लोकगीतों और क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण में भी विशेष भूमिका निभाई है, जिससे भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने में सहायता मिली है।

विद्या विंदु सिंह जी ने रक्षा बंधन जैसे त्योहारों के लिए दो दर्जन से अधिक लोकगीतों की रचना की है, जो न केवल उनके लेखन कौशल को दर्शाते हैं बल्कि भारतीय पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी उजागर करते हैं।

पुरस्कार और सम्मान

विद्या विंदु सिंह जी को उनके कार्यों के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनमें से मुख्य हैं:

  1. पद्म श्री (2022) – भारत सरकार द्वारा साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
  2. हिंदी गौरव सम्मान (2016) – हिंदी साहित्य में उनकी अनमोल सेवाओं के लिए।
  3. महादेवी वर्मा पुरस्कार – उनके साहित्यिक कार्यों को सम्मानित करने के लिए।

विद्या विंदु सिंह जी का साहित्यिक और सामाजिक योगदान उन्हें हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक बनाता है। उनका कार्य न केवल साहित्य के रूप में बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी यादगार है। उनके लेखन में भारतीय समाज की सच्ची तस्वीर है, जो हर वर्ग, हर आयु और हर स्तर के पाठकों को प्रेरणा देती है। हिंदी और अवधी साहित्य में उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियाँ भी याद रखेंगी।

  • Related Posts

    मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स में शाहरुख खान की एंट्री? एक ट्वीट ने मचाया तहलका, फैंस में बढ़ी हलचल

    नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2025 — बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं और इस बार वजह है उनकी संभावित एंट्री मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स (MCU) में।…

    पद्मश्री विद्या बिंदु सिंह — एक विदूषी, सरल और अत्यंत प्रेरणादायक व्यक्तित्व। आज हमारे साक्षात्कार में जानिए उनकी अब तक की जीवन यात्रा, उनके संघर्ष, सफलता और सृजनात्मक लेखन की कहानी।

    शब्दरंग: “देखिए, मैं ठीक लग रही हूं?” — कोयल सी मधुर आवाज़ में पद्मश्री विद्या बिंदु सिंह जी ने सकुचाते हुए पूछा।”आप तो हमेशा ही बहुत प्यारी लगती हैं। आपकी…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *