शब्दरंग समाचार। रावलपिंडी।पाकिस्तान में राजनीतिक विरोधियों और स्वतंत्र पत्रकारिता पर सरकार के हमले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान की संघीय जाँच एजेंसी (FIA) ने हाल ही में 150 से अधिक पत्रकारों, व्लॉगर्स और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें निशाना बनाया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने 26 नवंबर को इस्लामाबाद में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) समर्थकों पर हुई कार्रवाई के खिलाफ कथित तौर पर ‘झूठा नैरेटिव’ फैलाकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाया।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, FIA ने अब तक 20 से अधिक सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स को गिरफ्तार किया है। इनमें सिख पत्रकार हरमीत सिंह, अहमद नूरानी और कई अन्य पत्रकार शामिल हैं, जिन्हें सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (Peca) में झूठे आरोपों के तहत फंसाया है। यह कार्रवाई सिर्फ उन आवाज़ों को दबाने का प्रयास है, जो सरकार की नीतियों के खिलाफ बोल रही हैं।बता दें कि 26 नवंबर को PTI समर्थकों ने अपने नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई के लिए इस्लामाबाद के D-चौक पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने आंसू गैस और बल प्रयोग किया। PTI ने दावा किया कि इस कार्रवाई में उनके 12 समर्थकों की मौत हुई। हालाँकि, सरकार ने इस दावे को झूठा बताया और उल्टा प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया।प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों और ‘फेक न्यूज’ फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए एक संयुक्त टास्क फोर्स बनाई। इसके बाद FIA ने पत्रकारों और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए। यह स्पष्ट है कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों को निशाना बना रही है।अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले हरमीत सिंह जैसे पत्रकारों और अन्य व्लॉगर्स पर आरोप लगाकर सरकार ने दिखा दिया है कि वह किसी भी विरोध को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। FIA ने इन्हें इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (Peca) की विभिन्न धाराओं के तहत फंसाया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने सोशल मीडिया पर झूठी कहानियां फैलाकर सुरक्षा एजेंसियों को बदनाम किया।सरकार का दावा है कि यह कार्रवाई ‘फेक न्यूज’ फैलाने वालों के खिलाफ है। लेकिन यह सवाल उठता है कि जिन प्रदर्शनकारियों की मौतें हुईं, उनकी जाँच क्यों नहीं हो रही? PTI ने सीधे-सीधे आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी को इन मौतों का जिम्मेदार ठहराया है। सरकार ने इन आरोपों को नकारते हुए जवाब देने के बजाय उल्टा आलोचकों को चुप कराने की मुहिम शुरू कर दी है।अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एमनेस्टी ने कहा, “पाकिस्तान में प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों के खिलाफ घातक दमन सरकार की असहिष्णुता को दर्शाता है। हमें इस कार्रवाई की निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच चाहिए।”पाकिस्तानी सरकार का यह रवैया लोकतंत्र के लिए खतरा है। राजनीतिक विरोधियों और स्वतंत्र मीडिया को कुचलने की कोशिश से यह स्पष्ट होता है कि सरकार अपनी असफलताओं से ध्यान भटकाना चाहती है। पत्रकारों और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स को गिरफ्तार करना न सिर्फ स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि यह दिखाता है कि सरकार अपनी साख बचाने के लिए कितनी हद तक जा सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने से पहले रैली में किए कई वादे
Share this Newsशब्दरंग संवाददाता: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से कुछ घंटे पहले वाशिंगटन डीसी में एक विशाल रैली को संबोधित किया। अपने हज़ारों समर्थकों…