
लखनऊ (Shabddrang Samachar): प्रजनन क्षमता में कमी का मतलब है कि एक दंपति एक वर्ष तक नियमित असुरक्षित संबंधों के बावजूद गर्भधारण में असमर्थ हो। भारत में, प्रजनन क्षमता में कमी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गई है। जीवनशैली में बदलाव, शहरीकरण, मानसिक तनाव, और पर्यावरणीय कारकों के कारण भारत में यह समस्या बढ़ रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और अन्य स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
भारत में प्रजनन क्षमता में कमी के आंकड़े
1. कुल प्रभावित दंपतियों का प्रतिशत: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, भारत में 10-15% दंपतियाँ प्रजनन क्षमता में कमी का सामना कर रही हैं।2020 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 27.5 मिलियन दंपतियाँ संतान प्राप्ति में कठिनाई का सामना कर रही हैं। शहरी क्षेत्रों में यह समस्या अधिक दिखाई देती है।
2. पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमी:भारतीय पुरुषों में स्पर्म काउंट की कमी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार, स्वस्थ स्पर्म काउंट 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम नहीं होना चाहिए। लेकिन भारत में, हाल के आंकड़ों में यह औसत स्पर्म काउंट 10-15 मिलियन प्रति मिलीलीटर तक गिरा हुआ पाया गया है।
3. महिलाओं में प्रजनन समस्याएँ:महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) जैसी समस्याएं आम हो रही हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 20% महिलाएं PCOS से प्रभावित हैं, जो गर्भधारण की संभावनाओं को घटा सकता है।एंडोमेट्रियोसिस, थायरॉयड की समस्याएं, और अंडाणुओं की गुणवत्ता में कमी जैसी समस्याएं भी महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रही हैं।
4. भौगोलिक प्रभाव:भारत के विभिन्न राज्यों में प्रजनन क्षमता में कमी का स्तर भिन्न होता है। शहरी क्षेत्रों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, जहां तनाव और प्रदूषण अधिक होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अपेक्षाकृत कम होती है, लेकिन अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के कारण कई मामले वहां भी सामने आ रहे हैं।
प्रजनन क्षमता में कमी के प्रमुख कारण
भारत में प्रजनन क्षमता में कमी कई शारीरिक, मानसिक, और पर्यावरणीय कारकों के कारण होती है। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. जीवनशैली और आहार :अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, जैसे जंक फूड, धूम्रपान, और शराब का अत्यधिक सेवन, प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। फास्ट फूड और अत्यधिक वसा वाला भोजन शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न कर सकता है।मोटापा और अत्यधिक दुबलापन भी गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। भारत में विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में असंतुलित आहार की आदतें प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं।
2. हार्मोनल असंतुलन:भारत में महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) और थायरॉयड विकार जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। यह हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है, जिससे गर्भधारण की संभावना घट जाती है।पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी और अन्य हार्मोनल असंतुलन, स्पर्म की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं, जो प्रजनन क्षमता को घटा सकता है।
3. तनाव और मानसिक स्वास्थ्य:भारतीय समाज में उच्च स्तर का मानसिक तनाव प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। तनाव से कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है, जो प्रजनन हार्मोन को असंतुलित कर सकता है।नौकरी, वित्तीय समस्याओं, और सामाजिक दबावों के कारण भारतीय युवा मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
4. उम्र का प्रभाव:भारत में महिलाओं में देर से विवाह और गर्भधारण का चलन बढ़ रहा है। यह भी एक कारण है जिससे प्रजनन क्षमता में कमी आ रही है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ गर्भधारण की संभावना घटती जाती है।35 की उम्र के बाद महिलाओं में अंडाणुओं की गुणवत्ता घटने लगती है, जबकि पुरुषों में 40 के बाद स्पर्म की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
5. पर्यावरणीय प्रदूषण और विषैले तत्व:भारत में बढ़ते प्रदूषण के कारण रासायनिक तत्व, विषाक्त पदार्थ, और भारी धातुएं हमारे वातावरण में मिल रही हैं। यह प्रदूषक तत्व शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न करते हैं और प्रजनन अंगों को प्रभावित कर सकते हैं।प्लास्टिक, कीटनाशक, और औद्योगिक रसायनों का भी शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह रसायन स्पर्म काउंट और अंडाणुओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।6. अन्य चिकित्सीय कारण:गर्भाशय में संरचनात्मक समस्याएं, फेलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज, और अन्य संक्रमण प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन, वेरीकोसेल (अंडकोष की नसों में सूजन) और स्पर्म संबंधित विकार भी प्रजनन क्षमता में कमी का कारण बन सकते हैं।
प्रजनन क्षमता में कमी के निवारण के उपाय
भारत में प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ प्रमुख निवारण उपायों का पालन किया जा सकता है। इनमें जीवनशैली में सुधार, आहार में बदलाव, और चिकित्सा सहायता शामिल है।
1. स्वस्थ और संतुलित आहार:प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर आहार लेना जरूरी है। हरी सब्जियाँ, ताजे फल, और सूखे मेवे जैसे बादाम और अखरोट का सेवन प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।विटामिन डी, फॉलिक एसिड, और जिंक प्रजनन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इन पोषक तत्वों के स्रोत के रूप में अंडे, मछली, और हरी सब्जियाँ उपयोगी होती हैं।
2. तनाव प्रबंधन:तनाव को नियंत्रित करने के लिए योग, ध्यान, और प्राणायाम जैसे मानसिक व्यायाम किए जा सकते हैं। यह तनाव को कम कर शरीर में हार्मोन संतुलन बनाए रखते हैं। पर्याप्त नींद और समय पर आराम भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में सहायक होते हैं।
3. व्यायाम और शारीरिक सक्रियता: नियमित व्यायाम से वजन नियंत्रण में रहता है और हार्मोनल संतुलन बना रहता है। हफ्ते में 3-4 दिन मध्यम व्यायाम, जैसे चलना, दौड़ना, और तैराकी करना प्रजनन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।अत्यधिक कठोर व्यायाम से बचें, क्योंकि यह शरीर में तनाव को बढ़ा सकता है, जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।
4. प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार:
अश्वगंधा: यह जड़ी-बूटी तनाव को कम करने और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है।शतावरी: शतावरी का सेवन महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। यह अंडाणुओं की गुणवत्ता को सुधारती है।गोखरू: यह पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार के लिए लाभकारी है। यह स्पर्म की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक है।हालांकि, इन जड़ी-बूटियों का सेवन विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए।
5. चिकित्सा परामर्श और उपचार:यदि जीवनशैली में बदलाव से समस्या का समाधान नहीं होता है, तो चिकित्सकीय परामर्श लेना जरूरी है। प्रजनन विशेषज्ञ आपकी समस्या के अनुसार हार्मोनल थेरपी, आईवीएफ (IVF), और इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (IUI) जैसी उपचार विधियाँ सुझा सकते हैं।फेलोपियन ट्यूब की रुकावट, पुरुषों में स्पर्म की कमी, या महिलाओं में ओव्यूलेशन की समस्या के लिए चिकित्सा परामर्श आवश्यक हो सकता है।
6. पर्यावरणीय प्रदूषण से बचाव:प्रदूषण युक्त क्षेत्रों में कम समय व्यतीत करना चाहिए।