
नई दिल्ली। 17 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
हिंदी सिनेमा के इतिहास में कुछ जोड़ियां ऐसी होती हैं, जो न केवल कामयाबी की मिसाल बनती हैं, बल्कि पूरे इंडस्ट्री का रुख भी बदल देती हैं। ऐसी ही एक जोड़ी थी — प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की। ‘जंजीर’ से शुरू हुआ यह सिनेमाई सफर ‘शराबी’ और ‘लावारिस’ जैसे ब्लॉकबस्टर फिल्मों तक पहुंचा और दोनों की पहचान को अमर बना गया।
प्रकाश मेहरा का शुरुआती जीवन और संघर्ष
प्रकाश मेहरा का जन्म 13 जुलाई 1939 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुआ था। महज 15 साल की उम्र में वह नाना की तिजोरी से 13 रुपये चुराकर मुंबई भाग गए थे। वहां उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। 1950 के दशक में उन्होंने प्रोडक्शन कंट्रोलर के रूप में करियर की शुरुआत की और 1968 में ‘हसीना मान जाएगी’ से बतौर निर्देशक डेब्यू किया।
‘जंजीर’ से बना इतिहास: जब लिया जोखिम और बदली किस्मत
1973 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘जंजीर’ ने ना सिर्फ प्रकाश मेहरा को, बल्कि संघर्ष कर रहे अमिताभ बच्चन को भी रातों-रात सुपरस्टार बना दिया।
फिल्म के लिए पहले धर्मेंद्र को साइन किया गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
आखिरकार प्राण की सिफारिश पर प्रकाश ने अमिताभ पर भरोसा किया।
फिल्म को बनाने के लिए प्रकाश ने अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए थे।
‘जंजीर’ की सफलता ने अमिताभ को ‘एंग्री यंग मैन’ की छवि दी और प्रकाश मेहरा को बॉलीवुड का सुपरहिट डायरेक्टर बना दिया।
‘शराबी’ की कहानी 35,000 फीट की ऊंचाई पर बनी
1983 में न्यूयॉर्क से फ्लाइट में सफर के दौरान प्रकाश मेहरा और अमिताभ ने मिलकर ‘शराबी’ की स्क्रिप्ट तैयार की।
फिल्म में एक सीन को परफेक्ट करने के लिए अमिताभ ने 45 रिटेक्स दिए थे।
एक फाइट सीन को अमिताभ ने खुद कोरियोग्राफ किया था।
शूटिंग के दौरान दीवाली के पटाखे से उनका हाथ झुलस गया, फिर भी उन्होंने शूटिंग नहीं रोकी।
लावारिस में अमिताभ की गायकी
‘लावारिस’ का आइकॉनिक गाना “मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है” अमिताभ की आवाज़ में रिकॉर्ड हुआ था। प्रकाश मेहरा ने इस गाने को अमिताभ के किरदार के लिहाज़ से फिल्म में शामिल किया और यह गाना आज भी एक कल्ट सॉन्ग माना जाता है।
प्रकाश मेहरा और अमिताभ का आखिरी साथ: ‘जादूगर’
1989 में आई फिल्म ‘जादूगर’ इस सुपरहिट जोड़ी की आखिरी फिल्म थी, जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही। इसके बाद प्रकाश ने 2001 में ‘मुझे मेरी बीवी से बचाओ’ प्रोड्यूस की, लेकिन निर्देशन नहीं किया।
17 मई 2009 को निमोनिया और मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण प्रकाश मेहरा का निधन हो गया।