लखनऊ (Shabddrang Samachar): रिटायरमेंट के बाद यह मेरी पहली दिवाली थी। सेवा में बिताए गए सालों की यादें अचानक ताजा हो गईं, खासकर वे दिन जब मैं वरिष्ठ पदों पर था। दिवाली से ठीक एक हफ्ते पहले लोग तरह-तरह के उपहार लेकर आते थे। इतना सामान इकट्ठा हो जाता कि कमरे में किसी उपहार की दुकान जैसा माहौल बन जाता। सूखे मेवे और अन्य उपहार इतने अधिक होते कि रिश्तेदारों, दोस्तों में बांटने के बाद भी काफी बच जाते थे।लेकिन इस बार चीजें बिल्कुल अलग थीं। दोपहर के दो बज चुके थे और अब तक कोई दिवाली की शुभकामनाएं देने नहीं आया था। मुझे उदासी का एहसास हुआ। खुद को विचलित करने के लिए मैंने अखबार का एक आध्यात्मिक कॉलम पढ़ना शुरू किया और सौभाग्य से एक दिलचस्प कहानी पर नजर पड़ी।यह कहानी एक गधे के बारे में थी, जो पूजा समारोह के लिए देवताओं की मूर्तियों को अपनी पीठ पर लादकर ले जा रहा था। गांव-गांव जाते हुए, लोग मूर्तियों के आगे सिर झुकाते। गधे को लगा कि लोग उसे प्रणाम कर रहे हैं, और वह इस आदर से अत्यंत रोमांचित हो उठा। मूर्तियों को पूजा स्थल पर छोड़ने के बाद, गधे के मालिक ने उसकी पीठ पर सब्जियां लाद दीं और वापसी का सफर शुरू किया। इस बार किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। ध्यान आकर्षित करने के लिए गधा जोर-जोर से रेंकने लगा, लेकिन लोग चिढ़ गए और उसे पीटने लगे। गधे को समझ नहीं आया कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है।इस कहानी को पढ़ते हुए मुझे एक गहरा आत्मबोध हुआ। मैंने महसूस किया कि कहीं न कहीं मैं भी उसी गधे जैसा ही था। जो आदर-सम्मान और उपहार मेरे पास आते थे, वह मेरी पद-प्रतिष्ठा के कारण थे, न कि मेरे अपने व्यक्तिगत गुणों के कारण। आज जब सच्चाई सामने आ गई थी, तो मैंने दिवाली मनाने के लिए अपनी पत्नी का साथ देने का निश्चय किया। लेकिन पत्नी ने भी चुटकी लेते हुए कहा, “जब मैं इतने सालों से कहती रही कि तुम गधे के अलावा कुछ नहीं हो, तो तुमने कभी नहीं माना। लेकिन आज अखबार में एक कहानी पढ़ते ही तुमने तुरंत सच्चाई मान ली!”इस अनुभव से मैंने सीखा कि सेवा में रहते हुए पद और प्रतिष्ठा के साथ-साथ समाज के प्रति भी अपना योगदान देना बहुत जरूरी है। हमें समाज के लिए कुछ सार्थक करना चाहिए ताकि पद छोड़ने के बाद भी लोग हमें अपने विचारों, कार्यों और योगदान के लिए याद रखें। अन्यथा, कहीं ऐसा न हो कि हमारे हाल भी उस गधे जैसे हो जाएं, जो भ्रम में जी रहा था।इसलिए, समय रहते हमें अपने पद की मर्यादा के साथ-साथ समाज सेवा, लेखन और संवाद के माध्यम से समाज का हित करना सीखना चाहिए।
RJD के राष्ट्रीय महामंत्री और उप्र के अध्यक्ष श्री अशोक सिंह जी का साक्षात्कार
Share this Newsराष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय महामंत्री एवं उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अशोक सिंह जी का पूरा इंटरव्यू देखें और यदि पसंद आए लाइक शेयर एंड सब्सक्राइब करें