
प्रयागराज। 31 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बहुउद्देश्यीय भवन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है लेकिन संविधान के मूल ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
1973 के केशवानंद भारती केस का हवाला
CJI ने 1973 में आए केशवानंद भारती केस के ऐतिहासिक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि 13 जजों की पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि:
* संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है।
* लेकिन संविधान के मूल ढांचे (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
* मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक सिद्धांत दोनों संविधान की आत्मा हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का 14 मंजिला भवन देश में अनोखा
मल्टीलेवल पार्किंग और एडवोकेट चैंबर्स
CJI ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बने 14 मंजिला बहुउद्देश्यीय भवन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसा भवन उन्होंने देश और विदेश में नहीं देखा। इसमें:
* 3,835 वाहनों की मल्टीलेवल पार्किंग
* 2,366 अधिवक्ता चैंबर
* 26 लिफ्ट, 28 एस्केलेटर और 4 ट्रैवलेटर्स
बार-बेंच सहयोग की मिसाल
CJI गवई ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीशों ने 12 बंगले खाली कर दिए, ताकि वकीलों को बेहतर सुविधा मिल सके।
यह बार और बेंच के बीच सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अधिवक्ताओं के लिए ऐलान
मुख्यमंत्री ने उद्घाटन के अवसर पर कहा कि:
* अधिवक्ता निधि ₹1.5 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की गई।
* पात्रता की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 70 वर्ष की गई।
* सात जनपदों में नए न्यायिक परिसरों के लिए ₹1,700 करोड़ स्वीकृत।
* महाकुंभ आयोजन में हाईकोर्ट की भूमिका को सराहा।
उच्च न्यायपालिका की भूमिका और दायित्व
CJI ने कहा कि:
* न्यायपालिका का कर्तव्य अंतिम नागरिक तक न्याय सुनिश्चित करना है।
* विधायिका और कार्यपालिका को भी संविधान के मूल मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए।
* भारत हमेशा संकट में एकजुट रहा, इसका श्रेय संविधान को जाता है।