शब्दरंग समाचार: शिव का स्वरूप सदा से ही रहस्यमय, असीम और औघड़पन से भरा रहा है। वे दिगंबर हैं, भस्म रमाते हैं, श्मशान में वास करते हैं, और नियमों से परे रहकर भी संसार का कल्याण करते हैं। उन्हीं के अनुगामी औघड़ होते हैं, जो सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शिव की साधना करते हैं और उनकी ही तरह लोक-लाज की परवाह किए बिना सत्य की राह पर चलते हैं।
आइये सुनते हैं औघड़ और शिव का सम्बन्ध इस गाने में।





