
नई दिल्ली। 2 जून 2025, शब्दरंग समाचार:
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार पर अवैध रूप से निर्वासन अभियान चलाने और विदेशी नागरिकों को बिना उचित प्रक्रिया के हिरासत में लेने के आरोपों वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को गौहाटी हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है।
याचिका में क्या कहा गया था?
याचिका ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े के माध्यम से दायर की गई थी। इसमें यह आरोप लगाया गया था कि असम सरकार उन लोगों को भी हिरासत में ले रही है जिनकी नागरिकता की पुष्टि या कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पूछा कि याचिकाकर्ता गौहाटी हाईकोर्ट क्यों नहीं जा रहा है। जब हेगड़े ने बताया कि याचिका शीर्ष अदालत के 4 फरवरी 2024 के आदेश पर आधारित है, तब कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मामला हाईकोर्ट के समक्ष उठाया जाना चाहिए।
पीठ ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी, जिससे रास्ता हाईकोर्ट में खुला रहे।
सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का हवाला
इस याचिका में 4 फरवरी 2024 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया गया था। उस आदेश में कोर्ट ने असम सरकार को 63 घोषित विदेशी नागरिकों के निर्वासन की प्रक्रिया दो सप्ताह में शुरू करने का निर्देश दिया था, जिनकी राष्ट्रीयता पहले से ज्ञात थी।