
नई दिल्ली।23 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 23 मई 2025 को दिल्ली सरकार को पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के कार्यकाल में दायर किए गए सात मामलों को वापस लेने की अनुमति दी। ये सभी मामले केंद्र सरकार और उपराज्यपाल (LG) के खिलाफ थे और इनमें राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण सहित कई प्रशासनिक और संवैधानिक मुद्दे शामिल थे।
22 मई को दी गई थी वापसी की याचिका
AAP सरकार ने 22 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इन विवादित मामलों को वापस लेने की अनुमति मांगी थी। यह निर्णय नवनियुक्त भाजपा सरकार द्वारा लिया गया, जिसने पुराने मामलों को खींचने की बजाय उन्हें समाप्त करने का रास्ता चुना।
कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले की सुनवाई की। भाजपा नेतृत्व वाली नई सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने दलील दी, जिसके बाद कोर्ट ने मामले वापस लेने की अनुमति दे दी।
वकीलों की लंबित फीस का मुद्दा भी उठा
सुनवाई के दौरान एक वकील ने आप सरकार द्वारा नियोजित वकीलों की लंबित फीस का मुद्दा उठाया। इस पर केंद्र सरकार के कानून अधिकारी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सभी फीस का भुगतान किया जाएगा, जिससे यह विवाद भी समाप्त होता नजर आ रहा है।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?
* यह मामला संविधान के अनुच्छेद 239AA से जुड़ा है, जो दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को परिभाषित करता है।
* AAP और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से सेवाओं, कानून व्यवस्था और प्रशासनिक अधिकारों को लेकर खींचतान रही है।
* केस वापस लेना यह दर्शाता है कि नई सरकार टकराव की राजनीति से हटकर सहयोगात्मक रवैया अपना रही है।