
नई दिल्ली:, शब्दरंग समाचार: हाल ही में संसद से पारित हुए वक़्फ़ संशोधन क़ानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर दस से अधिक याचिकाओं पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं और संकेत दिया कि वह इस क़ानून के कुछ प्रावधानों पर स्टे ऑर्डर जारी कर सकता है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों या अन्य गैर-हिंदुओं को शामिल करने पर विचार कर रही है?
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने तर्क दिया कि संशोधित क़ानून धार्मिक मामलों के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है। याचिकाएं वक़्फ़ बाय-यूज़र, गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, और संपत्तियों की वैधता पर सरकारी अफसरों के निर्णय जैसे प्रावधानों को चुनौती देती हैं।
वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने क़ानून का बचाव करते हुए कहा कि इन मुद्दों पर संसदीय समिति और बहस के दौरान विचार किया गया है।
कोर्ट की अहम टिप्पणियां:
डिनोटिफिकेशन पर रोक का विचार: कोर्ट ने कहा कि जो संपत्तियां पहले से वक़्फ़ घोषित हैं, उन्हें डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा।
संपत्ति विवाद में निर्णय तक स्टेटस क्वो: जब तक संबंधित अधिकारी किसी संपत्ति की स्थिति स्पष्ट न करे, तब तक उसे वक़्फ़ संपत्ति नहीं माना जाएगा।
गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर आपत्ति: कोर्ट ने इस पर भी रोक लगाने की संभावना जताई।
कोर्ट ने क़ानून के बाद हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि “सिस्टम पर दबाव डालना चिंताजनक है।”
मुख्य याचिकाकर्ता:
असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM सांसद)
महुआ मोइत्रा (TMC