शब्दरंग संवाददाता: डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों ने कनाडा और अमेरिका के बीच राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। ट्रंप की ओर से कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात न केवल विवादास्पद है बल्कि दोनों देशों के संबंधों के लिए एक बड़ी चुनौती भी प्रस्तुत करती है।
कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप की इस टिप्पणी को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा होना असंभव है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश स्वतंत्र राष्ट्र हैं और अपने व्यापार व सुरक्षा साझेदारी से लाभान्वित होते हैं।
वहीं, विपक्षी नेता पिएरे पोलिएवे ने ट्रंप के इस बयान की आलोचना करते हुए कनाडा की संप्रभुता को सर्वोपरि बताया। उन्होंने ट्रूडो की एनडीपी-लिबरल सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने देश की सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया है।
एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने ट्रंप को चुनौती देते हुए कहा कि कनाडाई अपनी स्वतंत्रता पर गर्व करते हैं और ट्रंप के “धौंसपूर्ण” रवैये का पुरजोर विरोध करेंगे। उन्होंने अमेरिकी टैरिफ की धमकी पर कनाडा द्वारा भी समान कदम उठाने की बात कही।
डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियां, खासकर “कनाडा के गवर्नर” और “51वें राज्य” जैसे बयान, कनाडा की संप्रभुता पर सीधा हमला हैं। ट्रंप का यह दावा कि ज्यादातर कनाडाई अमेरिका का हिस्सा बनना चाहते हैं, न केवल तथ्यहीन है बल्कि दोनों देशों के नागरिकों के बीच तनाव को बढ़ा सकता है।
यह स्थिति आगामी महीनों में दोनों देशों के संबंधों को कैसे प्रभावित करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। खासतौर पर जब कनाडा में नई सरकार बनने और अमेरिका में ट्रंप के प्रशासन की नीतियों के लागू होने का समय नजदीक आ रहा है।