
प्रयागराज। 7 जून 2025, शब्दरंग समाचार:
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के जहानागंज थाना क्षेत्र का यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। 10 मई 2025 को भारत-पाकिस्तान युद्धविराम की घोषणा के बाद, स्थानीय युवक अजीत यादव ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी पोस्ट की।
इस पर पुलिस उपनिरीक्षक लाल बहादुर मौर्य ने एफआईआर दर्ज करवाई। अजीत ने गिरफ्तारी से बचने और एफआईआर को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और अनिल कुमार की टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा: “सिर्फ इसलिए कि किसी व्यक्ति की भावनाएं आहत हुई हैं, उसे संविधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ अपमानजनक शब्द कहने की छूट नहीं दी जा सकती।”
सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी जरूरी
कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पद जैसे प्रधानमंत्री की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। सोशल मीडिया की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि आप अभद्र भाषा का इस्तेमाल करें।
याची की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया
याची की दलील :
याची के वकील ने कहा कि यह पोस्ट भावनाओं में बहकर लिखी गई थी और इसका उद्देश्य किसी को व्यक्तिगत रूप से अपमानित करना नहीं था।
कोर्ट की प्रतिक्रिया:
कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा: “भावनाओं की शर्त पर संवैधानिक मर्यादा से समझौता नहीं किया जा सकता।”
कानूनी पक्ष: सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
भारतीय संविधान अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति को स्वतंत्रता देता है, लेकिन यह अनुच्छेद 19(2) के तहत न्यायपालिका, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, गरिमा आदि पर प्रतिबंध भी लगाता है।
साइबर अपराध, आईटी एक्ट की धारा 66A (अब निष्क्रिय) और IPC की धारा 153A, 295A, 504, 505 जैसी धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।