
लखनऊ। 24 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों में उस समय भारी आक्रोश देखने को मिला जब पावर कॉर्पोरेशन ने बिना जांच के हड़ताल करने वालों की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया। कर्मचारियों ने इसे तानाशाही और असंवैधानिक करार देते हुए तीन घंटे का कार्य बहिष्कार किया और आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।
बिना जांच बर्खास्त करने का आदेश और कर्मचारी विरोध
संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 311(2) का खुला उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व फैसलों के बावजूद इस तरह का अलोकतांत्रिक आदेश देना निंदनीय है।
* कार्मिकों ने कार्य बहिष्कार के दौरान प्रदेशभर में आदेश की प्रतियां जलाईं।
* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पावर कॉर्पोरेशन अध्यक्ष आशीष गोयल को हटाने की मांग की गई।
* वरिष्ठ अधिकारियों पर कर्मचारियों को धमकाने का भी आरोप लगा।
प्रबंधन पर निजीकरण को लेकर जल्दबाज़ी का आरोप
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि:
* पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण को लेकर अध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध है।
* बिना संवैधानिक प्रक्रिया के कर्मचारियों को बर्खास्त करने की योजना बनाई गई है।
धमकियों का आरोप, साक्ष्य सार्वजनिक करने की चेतावनी
कर्मचारी संगठनों ने कहा कि:
“पावर कार्पोरेशन के अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों को धमका रहे हैं। यदि जरूरत पड़ी तो इन धमकियों के ऑडियो प्रमाण भी सार्वजनिक किए जाएंगे।”
निदेशक (वित्त) के कार्यकाल पर घोटाले का आरोप
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि:
* नवचयनित निदेशक पुरुषोत्तम अग्रवाल को कार्यभार नहीं लेने दिया गया।
* निधि कुमार नारंग का कार्यकाल दूसरी बार 3 माह के लिए बढ़ाया गया।
* यह सब निजीकरण और वित्तीय घोटाले को दबाने के उद्देश्य से किया गया।
ट्रांजेक्शन एडवाइजर की भूमिका पर सवाल
ग्रांट थार्नटन जैसी कंपनियों को लेकर कहा गया कि:
* इन कंपनियों को गलत तरीके से चुना गया है।
* निजीकरण की प्रक्रिया को पारदर्शिता से दूर रखा गया है।
संघर्ष का एलान: कर्मचारी हर स्तर पर आंदोलन को तैयार
पदाधिकारियों ने ऐलान किया कि यदि तानाशाही रवैया बंद नहीं हुआ तो:
* राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
* सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करने को मजबूर किया जाएगा।