
प्रयागराज। 29 मई 2025, शब्दरंग समाचार:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में कार्यरत 2014 बैच के कंप्यूटर ऑपरेटरों को बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकल पीठ ने विवेक राज मिश्रा और अन्य 84 कंप्यूटर ऑपरेटरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को आदेश दिया है कि इन अधिकारियों की प्रशिक्षण अवधि को सेवा में जोड़ा जाए और जिनकी सेवा 10 वर्ष पूरी हो चुकी है, उन्हें 4200 रुपये ग्रेड-पे प्रदान किया जाए।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष और कोर्ट की टिप्पणी
वर्ष 2014 में कंप्यूटर ऑपरेटर ग्रेड-ए के पद पर नियुक्त इन कर्मियों को 2024 में ग्रेड-बी में प्रमोट किया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्हें अभी तक प्रथम प्रोन्नति वेतनमान (4200 ग्रेड-पे) नहीं दिया गया, और उनकी प्रशिक्षण अवधि को भी सेवा में शामिल नहीं किया गया।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं विजय गौतम और अतिप्रिया गौतम ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के 5 नवंबर 2014 के शासनादेश के अनुसार, राज्य कर्मचारियों को सीधी भर्ती की तारीख से 10 साल पूरे होने पर प्रथम वेतनमान मिलना चाहिए।
सेवा नियमों का हवाला
यूपी कंप्यूटर स्टाफ (नॉन-गजेटेड) सेवा नियमावली के अनुसार:
6 वर्ष की सेवा के बाद ग्रेड-ए से ग्रेड-बी में प्रोन्नति दी जानी चाहिए।
लेकिन विभाग ने न तो प्रशिक्षण अवधि को सेवा में गिना और न ही 10 साल की सेवा पूरी होने पर वेतनमान दिया।
हाईकोर्ट ने इसे न्याय के साथ अन्याय मानते हुए तीन माह के भीतर आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं।
किन जिलों के कंप्यूटर ऑपरेटरों को मिलेगा लाभ?
यह आदेश पूरे उत्तर प्रदेश के लिए लागू होगा। निम्नलिखित जिलों में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटरों को सीधा लाभ मिलेगा:
प्रयागराज, ललितपुर, झांसी, मऊ, आजमगढ़, भदोही, जौनपुर, कौशांबी
गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा, कानपुर, बरेली, मुरादाबाद
गोरखपुर, वाराणसी, अलीगढ़, बुलंदशहर, हापुड़ और अन्य
सरकारी आदेशों और नीतियों पर उठा सवाल
हाईकोर्ट के इस फैसले ने यूपी सरकार की वेतन एवं सेवा नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां बार-बार उच्च न्यायालयों द्वारा स्पष्ट आदेशों के बावजूद कर्मचारियों को उनके हक से वंचित रखा गया।