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किसका रास्ता देखें’ – डीआईजी सीआरपीएफ देवव्रत भट्टाचार्य की विदाई

सेन्ट्रल पुलिस विभाग की सेवा के अंतिम चरण में पहुँचे डीआईजी देवव्रत भट्टाचार्य जी का विदाई समारोह अपने आप में एक खास महत्व रखता है। पुलिस अधिकारी जो अपने अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा, और कड़ी मेहनत के प्रतीक होते हैं, जो सालों तक समाज और देश की सुरक्षा में लगे रहते हैं। ऐसे में जब वे सेवानिवृत्त होते हैं, तो उनकी विदाई एक साधारण औपचारिकता भर नहीं, बल्कि उस कार्यकाल और लगन का सम्मान होता है जो उन्होंने देश को समर्पित की है।

हाल ही में डीआईजी साहब ने अपने विदाई समारोह में मोहम्मद रफ़ी का गाया हुआ मशहूर गीत “किसका रास्ता देखें, ऐ दिल ऐ सौदाई” गाकर सबको भावुक कर दिया। इस गाने में निहित भावनाएँ – बिछड़ने की व्यथा, अनिश्चितताओं का अहसास, और उन रिश्तों का सम्मान – जो कि जीवन के सफर में बनते हैं और बिछड़ते हैं, विदाई के इस क्षण को अत्यधिक अर्थपूर्ण बना देती हैं।

एक विशेष गीत का चयन

“किसका रास्ता देखें” गीत हिंदी सिनेमा का एक कालजयी गीत है जो जीवन की अनिश्चितताओं और अपनेपन की व्याख्या करता है। यह गीत न केवल उन पलों को याद दिलाता है जिन्हें हम पीछे छोड़ते हैं, बल्कि आने वाले अनदेखे भविष्य का भी प्रतीक बनता है। डीआईजी साहब द्वारा इस गीत को चुने जाने का कारण शायद उनके जीवन के उन्हीं पहलुओं का प्रतिबिंब हो जो उन्होंने पुलिस सेवा के दौरान अनुभव किए होंगे। यह गीत उनके दिल की गहराईयों से निकलती उन भावनाओं को अभिव्यक्त कर रहा था, जो एक कर्मठ अधिकारी और उनके साथियों में बने उस रिश्ते की गहराई को दर्शाती हैं।

भावनाओं का समागम

जब देवव्रत भट्टाचार्य जी ने यह गीत गाया, तो पूरा माहौल एक गहरी शांति और संयमित भावनाओं से भर गया। डीआईजी साहब का अपनी टीम के प्रति जो प्रेम और आत्मीयता थी, वह उनके गायन से महसूस किया जा सकता था। उनके शब्दों में एक अधिकारी की जिम्मेदारियों और उनके सफर की यादें झलक रही थीं। हर एक पंक्ति में जीवन के वो अनुभव थे जो उन्होंने अपनी सेवाओं के दौरान इकट्ठा किए थे।

भट्टाचार्य जी के सहयोगियों के चेहरों पर भावुकता, गर्व और उत्साह की मिलीजुली झलक थी। इस गीत के माध्यम से उन्होंने न केवल अपने साथियों से बिछड़ने की पीड़ा को साझा कर रहे थे, बल्कि उनके प्रति एक विशेष आभार भी व्यक्त कर रहे थे। यह गीत उनके द्वारा अपने सहयोगियों के साथ बिताए पलों का एक प्रकार का श्रद्धांजलि प्रतीत हुआ।

विदाई का प्रभाव

इस गाने के बाद समारोह में एक सन्नाटा और भावुकता का माहौल हो गया। देवव्रत जी के इस अनोखे विदाई के अंदाज ने सभी उपस्थित लोगों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी। सभी को यह एहसास हुआ कि एक अधिकारी के रूप में उनका यह सफर, सिर्फ उनके कार्यों तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके साथियों, जनता, और समाज के प्रति भी एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव था।

डीआईजी साहब ने अपने इस कदम से यह साबित कर दिया कि सेवा के अंतिम पड़ाव पर पहूंचने के बावजूद उनके दिल में वह सजीवता, वह स्नेह, और वह आत्मीयता बरकरार है। उनके गाए इस गीत ने उनकी विनम्रता, उनकी जिम्मेदारी, और उनके साथियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को अनूठे रूप में पेश किया इस तरह से “किसका रास्ता देखें” गाना गाना उनके व्यक्तित्व का एक अद्भुत उदाहरण है। जो इस विदाई समारोह को खास बना गई, एक ऐसा पल जो सभी के दिलों में लंबे समय तक बसा रहेगा। यह एक यादगार संदेश था कि पुलिस सेवा में भी व्यक्ति अपनी भावनाओं, संवेदनाओं, और इंसानियत को बरकरार रख सकता है।

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