
तेहरान/तेल अवीव, 15 जून 2025 (Shabddrang news) –इजरायल और ईरान के बीच पिछले तीन दिनों से जारी संघर्ष ने अब गंभीर और खतरनाक मोड़ ले लिया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के रणनीतिक और संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाते हुए सीधे युद्ध की स्थिति पैदा कर दी है।
ईरान का जवाबी हमला:
बैलिस्टिक मिसाइलों से दहला इजरायल
बीती रात ईरान ने इजरायल के बड़े शहरों – तेल अवीव और यरुशलम – पर कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इन हमलों में तीन लोगों की मौत और 100 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। तेल अवीव के डैन जिले में एक आठ मंजिला इमारत को निशाना बनाकर हमला किया गया, जिससे व्यापक नुकसान हुआ है। आसपास की इमारतें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं।
इजरायल का पलटवार:
गैस फील्ड और परमाणु परियोजनाएं निशाने पर
इसके जवाब में इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने ईरान के महत्वपूर्ण ऊर्जा और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया।दक्षिणी ईरान के साउथ पार्स गैस फील्ड पर ड्रोन अटैक से आग भड़क उठी, जिससे गैस उत्पादन बाधित हुआ।ईरान की सबसे बड़ी नेचुरल गैस रिफाइनरी ‘फज्र’ को ड्रोन हमले में भारी नुकसान पहुंचा।इजरायल ने दावा किया है कि उसने तेहरान स्थित ईरान के परमाणु हथियार परियोजना (SPND) के मुख्यालय और डिफेंस मिनिस्ट्री के हेडक्वार्टर पर भी हमले किए हैं।
हाइफा तेल रिफाइनरी पर ईरान का दावा
ईरान ने भी इजरायल के अंदर हमलों की पुष्टि की है। इरना न्यूज एजेंसी के अनुसार, हाइफा स्थित इजरायल की तेल रिफाइनरी पर सफल हमला किया गया। इसके अलावा, ईरानी मिसाइलों ने उन साइट्स को भी निशाना बनाया, जहां से इजरायली फाइटर जेट्स को ईंधन सप्लाई किया जाता है।
IDF का बयान:
“तेहरान अब सुरक्षित नहीं”इजरायल की सेना के प्रवक्ता ने स्पष्ट कहा है कि अगर मिसाइल हमले जारी रहे, तो “तेहरान जल सकता है।” उन्होंने बताया कि इजरायल के 70 से ज्यादा फाइटर जेट्स हमलों में शामिल हैं और टारगेटेड ऑपरेशन लगातार जारी हैं।
भारत की भूमिका पर चर्चा
इस संकट को कम करने के प्रयासों में भारत की भूमिका की चर्चा भी हो रही है। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि भारत दोनों देशों के साथ अच्छे संबंधों के चलते मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
इजरायल और ईरान के बीच यह टकराव अब सीमित संघर्ष से निकलकर सीधे युद्ध की दिशा में बढ़ रहा है। दोनों देशों के रणनीतिक ठिकानों पर हो रहे हमले इस बात का संकेत हैं कि यह केवल सैन्य झड़प नहीं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, परमाणु खतरे और पश्चिम एशिया की स्थिरता से जुड़ा गंभीर मसला बन चुका है।