
तारीख: 9 जून 2025 | जेरूसलम/गाज़ा:
पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अन्य 12 कार्यकर्ताओं के साथ गाज़ा के लिए राहत सामग्री लेकर जा रही “मैडलीन” नाम की शिप को इज़राइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने इंटरनेशनल वॉटर में घेर लिया और शिप को इज़राइली तटों की ओर मोड़ दिया है।शिप के सभी यात्रियों के फोन बंद कराए गए, रेडियो जाम कर दिया गया, और अब इन कार्यकर्ताओं का दुनिया से संपर्क पूरी तरह टूट चुका है।
ग्रेटा थनबर्ग ने घटना से पहले एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, “हमें इज़राइली सेना द्वारा इंटरनेशनल वॉटर में रोका गया है। यह एक तरह का किडनैप है। मैं अपने देश स्वीडन और दुनिया भर के लोगों से अपील करती हूं कि हमारी रिहाई के लिए दबाव बनाएं।”
इज़राइली पक्ष का जवाब
इज़राइल के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि “मैडलीन” शिप को रोका गया है।एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए मंत्रालय ने इसे “सेल्फी नाव” कहा और आरोप लगाया कि ग्रेटा व अन्य कार्यकर्ता मीडिया में प्रचार के लिए उकसावे की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि,”गाज़ा में पिछले दो हफ्तों में पर्याप्त सहायता पहुंच चुकी है, इसलिए इस शिप का कोई मानवीय औचित्य नहीं है।”
शिप और मिशन की जानकारी
शिप रविवार को इटली के सिसिली से रवाना हुई थी।इसमें खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और राहत सामान था।संचालन फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन कर रहा था, जो लंबे समय से गाज़ा नाकेबंदी को चुनौती देता आ रहा है।इज़राइल ने पहले ही चेतावनी दी थी कि वह गाज़ा की नौसैनिक नाकेबंदी को नहीं टूटने देगा। रक्षा मंत्री इज़राइल कैट्ज़ ने कहा था: “हम हमास को हथियार सप्लाई से रोकने के लिए नाकेबंदी को कड़ाई से लागू करेंगे।”
सोमवार को क्या हुआ?
शिप जैसे ही गाज़ा के पास इंटरनेशनल वॉटर में पहुँची, इज़राइली सेना के सैनिकों ने घेराबंदी की।ड्रोन द्वारा शिप पर सफेद पेंट जैसा पदार्थ डाला गया, और रेडियो सिग्नल जाम कर दिए गए।आखिरी बार संपर्क में आए कैप्टन ने बताया कि “कोई घायल नहीं हुआ है।“इसके बाद सभी संचार पूरी तरह टूट गए।
पिछली असफल कोशिशें
यह पहली बार नहीं है जब फ्रीडम फ्लोटिला ने गाज़ा पहुँचने की कोशिश की हो।मई में माल्टा के इंटरनेशनल वॉटर में इसी गठबंधन की एक और नौका पर ड्रोन हमला हुआ था, जिससे जहाज क्षतिग्रस्त हो गया था। इस हमले का दोष भी इज़राइल पर मढ़ा गया था।
मानवता संकट और भूख का खतरा
गाज़ा में तीन महीने से जारी नाकेबंदी के चलते हालात बेहद खराब हो चुके हैं।युद्ध और आपूर्ति की कमी के चलते भुखमरी की आशंका जताई जा रही है।हालांकि हालिया हफ्तों में कुछ मानवीय सहायता गाज़ा में पहुँची है, लेकिन स्वतंत्र संगठनों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है।