
शब्दरंग समाचार : नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025 – चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। देवी दुर्गा के इस स्वरूप को ब्रह्मांड की सृजनकर्ता माना जाता है। मां कूष्मांडा की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और कष्टों का निवारण होता है।
पूजा विधि
प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
घी का दीपक जलाकर देवी को कुमकुम व हल्दी का तिलक करें।
मां को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें।
श्रद्धा पूर्वक भोग अर्पित कर मंत्र जाप करें।
अंत में मां की आरती कर प्रसाद वितरित करें।
भोग और शुभ रंग
मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
इस दिन के लिए शुभ रंग नारंगी है, जो ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
कथा और महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए उन्हें ‘आदि शक्ति’ भी कहा जाता है। भक्तों का मानना है कि उनकी आराधना से जीवन में यश, बल और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
देशभर में चैत्र नवरात्रि का पर्व श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जा रहा है। मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है और मां दुर्गा के जयकारे गूंज रहे हैं।