शब्दरंग साहित्य में आज पढ़िए गीतिका वेदिका की कविता

विजयी लेखनी वाले प्रियतम
कोई गीत लिखो!
सुलझ जाये मेरी सब उलझन
कोई गीत लिखो!

लिखो नाक की लौंग चमकती
बिंदिया बन जाती है
लिखो कान की बाली गुमकर
माटी सन जाती है

इतरा उठें पायलें छनछन
कोई गीत लिखो!

बादल बनकर कैसे बरसूँ?
भाप हुई जाती हूँ!
सूरज की किरणों में रंगकर
ताप हुई जाती हूँ!

लेकर स्वयं आये जो मधुबन
कोई गीत लिखो!

नींद न आए स्वप्नों का फिर
मूल कहाँ से पाऊँ?
दिवास्वप्न देखूँ मैं निशिदिन
रात विकल हो जाऊँ!

चमक उठे दीवा में धड़कन
कोई गीत लिखो!
विजयी लेखनी वाले प्रियतम
कोई गीत लिखो!

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