
शब्दरंग समाचार: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और ISKCON (इस्कॉन) के सदस्यों पर अत्याचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में, ISKCON के मुख्य पुजारी चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी और उनके 17 सहयोगियों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज करने का मामला सामने आया है।
भारत में प्रवेश से रोके गए ISKCON सदस्य
शनिवार रात और रविवार सुबह बांग्लादेश के अलग-अलग जिलों से आए ISKCON भक्तों सहित 54 सदस्यों ने बेनापोल बॉर्डर से भारत में प्रवेश करने की कोशिश की। वे भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने जा रहे थे। हालांकि, बांग्लादेशी अधिकारियों ने उनके पास वैध पासपोर्ट और वीजा होने के बावजूद उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।बॉर्डर अधिकारियों का कहना है कि ISKCON सदस्यों के पास यात्रा के लिए जरूरी विशेष सरकारी अनुमति नहीं थी। बांग्लादेश के अधिकारी अहसानुल कादर ने कहा, “सरकारी अनुमति के बिना ये लोग भारत में प्रवेश नहीं कर सकते।”
धार्मिक समारोह में शामिल होने की योजना
ISKCON सदस्य तपंदर चेली ने बताया, “हम भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने आए थे। हमारे पास सभी वैध यात्रा दस्तावेज थे, लेकिन हमें भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।”बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेशइसके साथ ही, बांग्लादेश के अधिकारियों ने चिन्मय प्रभु सहित ISKCON के 17 सहयोगियों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम संगठन की गतिविधियों की जांच के तहत उठाया गया है।
बांग्लादेश में बढ़ता अत्याचार
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और ISKCON के सदस्यों पर हो रहे अत्याचार पर मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है। हाल के वर्षों में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों और धार्मिक संस्थानों पर प्रतिबंधों की घटनाएं बढ़ी हैं।
भारत और बांग्लादेश के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बनाए रखने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों से उचित कदम उठाने की अपील की जा रही है। ISKCON सदस्यों को भारत में प्रवेश न देने का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकता है।