शब्दरंग संवाददाता: इसराइल और हमास के बीच सीज़फ़ायर पर सहमति एक अहम कूटनीतिक उपलब्धि है, जो बहुत पहले हो जानी चाहिए थी। सात अक्तूबर 2023 को हमास के हमलों के बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई ने ग़ज़ा को भारी नुकसान पहुंचाया। इन हमलों में हमास के करीब 1200 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश नागरिक थे। इसराइल की जवाबी कार्रवाई से ग़ज़ा में लगभग 50 हज़ार लोग मारे गए, और 20 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए।
समझौते की देरी और आरोप-प्रत्यारोप
पिछले साल मई से ही सीज़फ़ायर को लेकर चर्चाएं चल रही थीं, लेकिन समझौता अब जाकर हुआ। देरी के लिए दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। यह संघर्ष क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती बना रहा।
क्षेत्रीय प्रभाव और वैश्विक प्रतिक्रिया
ग़ज़ा के युद्ध ने पूरे मध्य-पूर्व में उथल-पुथल मचाई। हिज़्बुल्लाह और ईरान जैसे समूहों ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन इसराइल ने इन्हें कुचल दिया। लेबनान और सीरिया में भी इस युद्ध का असर दिखा। ईरान के समर्थन से जुड़े समूह कमजोर हुए, और यमन में हूतियों ने लाल सागर के जहाजों को रोकने की कोशिश की।
चुनौतियां और भविष्य की राह
हालांकि, सीज़फ़ायर से हिंसा पर रोक लगने की उम्मीद है, लेकिन इसकी स्थायित्व पर संदेह बना हुआ है। पश्चिमी देशों के राजनयिकों को डर है कि 42 दिनों के इस समझौते के पहले चरण के बाद संघर्ष फिर से भड़क सकता है।
न्याय और राजनीतिक दबाव
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने युद्ध अपराधों के आरोप लगाए हैं। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) भी इसराइल पर जनसंहार के आरोपों की जांच कर रहा है।
क्या सीज़फ़ायर स्थायी शांति ला सकता है?
इस सीज़फ़ायर से बंधकों और कैदियों की अदला-बदली का रास्ता खुल सकता है। हालांकि, यह लंबे समय से चले आ रहे इसराइल-फ़लस्तीन संघर्ष को समाप्त नहीं करेगा। एक सदी पुरानी इस समस्या का समाधान केवल सीज़फ़ायर से संभव नहीं है। स्थायी शांति के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, वैश्विक समर्थन और दोनों पक्षों के बीच संवाद की आवश्यकता होगी।