शब्दरंग समाचार: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 और 23 अप्रैल को सऊदी अरब के आधिकारिक दौरे पर होंगे। यह यात्रा सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर हो रही है। यह पीएम मोदी का सऊदी अरब का तीसरा दौरा है, इससे पहले वे 2016 और 2019 में वहाँ जा चुके हैं।
यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत में हाल ही में पास हुए वक़्फ़ संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। संसद द्वारा 4 अप्रैल को पारित इस कानून में वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर कई अहम बदलाव किए गए हैं। अब वक़्फ़ बोर्ड की कई शक्तियाँ कम कर दी गई हैं और जिलाधिकारियों को यह अधिकार दे दिया गया है कि वे तय करें कि कोई ज़मीन वक़्फ़ की है या नहीं। साथ ही केंद्र सरकार को रजिस्ट्रेशन, ऑडिट और प्रकाशन संबंधी अधिकार मिल गए हैं।
विपक्ष ने इसे असंवैधानिक और विभाजनकारी बताते हुए मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला कहा है। वहीं सत्ताधारी दल का कहना है कि यह कानून पारदर्शिता और ज़मीन विवादों के हल के लिए ज़रूरी था।
क्या मुद्दा भारत-सऊदी बातचीत का हिस्सा बनेगा?
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा मुख्यतः रणनीतिक साझेदारी परिषद (Strategic Partnership Council) की बैठक के लिए है, जिसके तहत सुरक्षा, राजनीतिक, ऊर्जा और निवेश से जुड़े मुद्दों पर बातचीत होगी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी से जब इस दौरे में वक़्फ़ कानून को लेकर संभावित चर्चा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा, “सऊदी अरब की ओर से आधिकारिक रूप में यह मुद्दा कभी नहीं उठाया गया है, और मुझे नहीं लगता कि यह बातचीत का विषय बनेगा।”
सऊदी अरब आम तौर पर दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देने से परहेज़ करता है। हालांकि, सऊदी प्रभाव वाले इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी (OIC) ने भारत में कश्मीर और CAA-NRC जैसे मुद्दों पर अतीत में टिप्पणी की है, लेकिन वक़्फ़ संशोधन कानून पर अब तक वह चुप है।
इस्लामिक देशों की प्रतिक्रियाएँ
हालाँकि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी इस्लामिक देशों ने इस कानून की आलोचना की है। पाकिस्तान ने इसे भारत में मुसलमानों के धार्मिक और आर्थिक अधिकारों का उल्लंघन कहा है। वहीं भारत ने इन बयानों को खारिज करते हुए कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है।
सऊदी अरब और मोदी सरकार: मज़बूत रिश्ते
नरेंद्र मोदी की सरकार पर अक्सर विपक्ष की ओर से मुस्लिम विरोधी रवैये का आरोप लगता है, लेकिन इससे इस्लामिक देशों से संबंधों पर असर नहीं पड़ा है। इसके उलट, मोदी सरकार ने UAE, बहरीन और सऊदी अरब जैसे देशों से संबंध मज़बूत किए हैं। पीएम मोदी को 2016 में सऊदी का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी मिल चुका है। सऊदी क्राउन प्रिंस ने 2019 में भारत को ‘बड़े भाई’ की संज्ञा दी थी।
पीएम मोदी का यह दौरा रणनीतिक, ऊर्जा, निवेश और प्रवासी भारतीयों के हितों के लिहाज से अहम है। वक़्फ़ कानून विवाद, भले ही देश के अंदर राजनीतिक और धार्मिक तनाव का कारण बना हो, लेकिन इसकी चर्चा इस दौरे में होने की संभावना बहुत कम है। फिर भी, भारत और इस्लामिक दुनिया के बीच भविष्य के संबंधों पर इसका अप्रत्यक्ष असर जरूर हो सकता है।