
बीजिंंग । 17 जुलाई 2025, शब्दरंग समाचार :
RIC Troika (Russia-India-China) एक त्रिपक्षीय संवाद मंच है जिसे 2002 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य वैश्विक रणनीतिक मुद्दों पर तीनों देशों के बीच सहयोग और संवाद को प्रोत्साहित करना है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में यह मंच निष्क्रिय हो गया था, लेकिन अब रूस की पहल और चीन के समर्थन से इसे पुनर्जीवित करने की योजना है।
रूस की पहल और चीन का समर्थन
हाल ही में रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने RIC प्रारूप को पुनर्जीवित करने की वकालत की। उन्होंने बताया कि मॉस्को इस सहयोग को फिर से शुरू करने के लिए बीजिंग और नई दिल्ली के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रहा है। रुडेंको का मानना है कि इस तरह की त्रिपक्षीय रणनीति आज की वैश्विक परिस्थितियों में और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि यह सहयोग क्षेत्रीय शांति और वैश्विक स्थिरता के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
भारत की भूमिका और संभावनाएं
हालांकि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध एक प्रमुख चुनौती रहा है, फिर भी भारत की कूटनीतिक सक्रियता—विशेष रूप से एस. जयशंकर की हालिया चीन यात्रा—दर्शाती है कि भारत संवाद के लिए तैयार है। भारत के लिए RIC मंच एक संतुलनकारी भूमिका निभा सकता है, खासकर BRICS और SCO जैसे बहुपक्षीय संगठनों में।
रणनीतिक महत्व: क्यों जरूरी है RIC Troika?
भू-राजनीतिक संतुलन
RIC तीनों देश वैश्विक शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं। यह त्रिपक्षीय समूह वैश्विक मंचों पर अमेरिका और यूरोपीय गुटों के प्रभाव का संतुलन बनाता है।
बहुपक्षीय संवाद
यह मंच तीनों देशों को समान हितों पर खुलकर चर्चा करने का अवसर देता है, जैसे ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद विरोध, जलवायु परिवर्तन, और आर्थिक सहयोग।
BRICS और SCO को मजबूती
RIC प्रारूप BRICS और SCO जैसे संगठनों की नींव को भी मजबूत बनाता है, क्योंकि ये तीनों ही इनमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अतीत की बाधाएं और भविष्य की राह
2020 में भारत-चीन सीमा विवाद और कोरोना महामारी ने इस मंच की गति को बाधित किया था। लेकिन अब बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में सभी पक्ष फिर से साथ आकर कूटनीतिक संतुलन कायम करना चाहते हैं।