
शब्दरंग समाचार: टैरिफ़ किसी देश से आयात किए जाने वाले उत्पादों पर लगने वाला शुल्क होता है, जिसे आयातक कंपनी अपने देश की सरकार को चुकाती है। आमतौर पर, यह शुल्क स्थानीय उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए लगाया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अगर कोई देश अमेरिकी सामानों पर अधिक शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश के उत्पादों पर समान टैरिफ़ लगाएगा, जिसे उन्होंने “रेसिप्रोकल टैरिफ़” नाम दिया है।
भारत पर संभावित प्रभाव
1. भारतीय निर्यात पर प्रभाव
भारत अमेरिका को विभिन्न उत्पाद निर्यात करता है, जिनमें मुख्यतः फार्मास्यूटिकल, गहने, मोबाइल, कपड़ा, सी फ़ूड, डेयरी उत्पाद और खाद्य तेल शामिल हैं। ट्रंप के टैरिफ़ से इन उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- फार्मास्यूटिकल्स: भारत अमेरिका को 12.7 अरब डॉलर की दवाइयाँ निर्यात करता है। इस पर 10.9% टैरिफ़ लगाए जाने से भारतीय कंपनियों का बाजार प्रभावित हो सकता है, जिससे अमेरिका में दवा महंगी होगी और भारत में रोजगार घटेगा।
- गहने और मोबाइल: अमेरिका भारत से 11.88 अरब डॉलर के गहने और 14.39 अरब डॉलर के मोबाइल व टेलीकॉम उपकरण खरीदता है। इन पर क्रमशः 13.32% और 7.24% टैरिफ़ लगने से भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे निर्यात घट सकता है।
- कपड़ा और फुटवियर: अमेरिका में भारतीय कपड़ों पर पहले से अधिक टैक्स है, जिससे रेसिप्रोकल टैरिफ़ लागू होने पर भारतीय वस्त्र महंगे हो सकते हैं।
- सी फ़ूड और डेयरी उत्पाद: अमेरिका भारतीय सी फ़ूड पर 27.83% और डेयरी उत्पादों पर 38.23% टैरिफ़ लगाने की योजना बना रहा है, जिससे इन उत्पादों का निर्यात प्रभावित होगा।
2. भारतीय कृषि और खाद्य उद्योग पर प्रभाव
भारत विश्व का आठवां सबसे बड़ा कृषि उत्पाद निर्यातक है और अमेरिका को मुख्य रूप से चावल, झींगा, शहद, अरंडी का तेल और काली मिर्च भेजता है। अमेरिका के नए टैरिफ़ से भारतीय कृषि उत्पादों की कीमतें गिर सकती हैं, जिससे किसानों की आय पर असर पड़ेगा।
3. अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों पर असर
अमेरिकी अर्थशास्त्रियों के अनुसार, टैरिफ़ से अमेरिका में आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उत्पादन लागत बढ़ेगी। मूडीज़ एनालिटिक्स के अनुसार, इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 0.6% की गिरावट आएगी और 2.5 लाख नौकरियां प्रभावित होंगी।
भारत की प्रतिक्रिया और संभावित उपाय
भारत यदि इस टैरिफ़ का जवाब देता है, तो अमेरिका से आयात होने वाले बादाम, अखरोट और सोयाबीन जैसे उत्पाद महंगे हो सकते हैं। इसके अलावा, भारत सरकार घरेलू उद्योगों को समर्थन देने के लिए विभिन्न व्यापारिक समझौतों और सब्सिडी का सहारा ले सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ से भारत के विभिन्न निर्यात क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे रोज़गार और अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। हालांकि, इससे अमेरिका में भी उपभोक्ताओं को महंगी वस्तुएं खरीदनी पड़ेंगी और कंपनियों की लागत बढ़ेगी। भारत सरकार को इस चुनौती से निपटने के लिए कूटनीति
क और आर्थिक कदम उठाने होंगे।